Haryana Solar Water Pump Scheme - Full Information And Step by Step Guide with Scheme Overview

हरियाणा सोलर वाटर पंप योजना – किसानों के लिए नई ऊर्जा का स्रोत

भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे मज़बूत आधार खेती है, और हरियाणा तो देश की कृषि शक्ति में अग्रणी राज्यों में गिना जाता है। यहाँ के किसान वर्षों से परंपरागत डीज़ल या बिजली चालित पंपों से सिंचाई करते आ रहे हैं। लेकिन इन पंपों पर निर्भरता न केवल महंगी साबित होती है बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदेह है। इसी चुनौती का समाधान लेकर आई है हरियाणा सोलर वाटर पंप योजना, जो किसानों को स्वच्छ, किफायती और टिकाऊ ऊर्जा से जोड़ने का बेहतरीन प्रयास है।इसका उपयोग करके, हरियाणा सरकार को अनुमानित सफलता मिली है। किसान भी इस योजना से बहुत खुश हैं। वे इस योजना के तहत बड़े चाव से सोलर पंप लगवा रहे हैं। इससे किसानों की डीज़ल और बारिश पर निर्भरता कम हुई है। यह किसानों का एक सच्चा साथी बन गया है।

योजना का उद्देश्य (Objective of the scheme)

इस योजना को हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (HAREDA) ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) के तहत लागू किया है। इसका प्रमुख उद्देश्य है:

किसानों को डीज़ल और बिजली पंपों की महंगी निर्भरता से मुक्त करना।

सिंचाई को सस्ती और आसान बनाना।

पर्यावरण की रक्षा करना और कार्बन उत्सर्जन घटाना।

राज्य की बिजली सब्सिडी का बोझ कम करना।

सब्सिडी व लागत (Subsidy And Cost)

इस योजना के अंतर्गत किसानों को 75% तक सब्सिडी दी जाती है।

30% राशि केंद्र सरकार (CFA) देती है।

45% राशि राज्य सरकार वहन करती है।

किसान को सिर्फ 25% राशि खुद निवेश करनी होती है।

पंप की क्षमता और मॉडल के हिसाब से लागत और किसान का अंशदान अलग-अलग होता है:


पंप क्षमता                     किसान का अनुमानित योगदान (₹)

3 HP                                      53,000 – 54,000

5 HP

7.5 HP

10 HP

पात्रता मानदंड (Eligibility)

हर कोई इस योजना का लाभ नहीं ले सकता। इसके लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं:

किसान के पास परिवार पहचान पत्र (PPP ID) ह

आवेदक या उसके परिवार के नाम पहले से कोई सोलर पंप कनेक्शन नहीं होना चाहिए।

आवेदक के पास बिजली आधारित पंप कनेक्शन भी सक्रिय नहीं होना चाहिए।

किसान के पास हरियाणा में कृषि भूमि होनी चाहिए।

यदि ज़मीन पर जल-स्तर 100 फीट से नीचे है तो माइक्रो इरिगेशन (ड्रिप या स्प्रिंकलर) सिस्टम लगाना ज़रूरी है।

जिन इलाकों में भूजल 40 मीटर से नीचे है, वहाँ धान की खेती करने वाले किसान पात्र नहीं होंगे।

आवेदन प्रक्रिया (Apply Process)

आवेदन सारल हरियाणा पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किया जाता है।

सबसे पहले किसान अपनी PPP ID और ज़मीन के कागज़ात (जमाबंदी/फर्द) अपलोड करते हैं।

चयनित होने के बाद किसान को PM-KUSUM पोर्टल पर निर्धारित योगदान राशि जमा करनी होती है।

इसके बाद पैनल व पंप लगाने का काम अधिकृत वेंडर (empanelled vendor) द्वारा किया जाता है।

किसान को सिर्फ बोरवेल उपलब्ध कराना होता है, बाकी सोलर पंप कंपनी इंस्टाल करती है।

प्राथमिकता व चयन (Priority and Selection)

पहले उन किसानों को प्राथमिकता दी जाती है जिन्होंने अपनी बिजली कनेक्शन की अर्जी वापस ली हो।

इसके बाद वार्षिक आय, ज़मीन का आकार और आवेदन की तारीख के आधार पर चयन होता है।

चयन सूची ज़िला-वार सारल पोर्टल पर जारी की जाती है।

किसानों के लिए लाभ (Benefits for farmers)

बिजली व डीज़ल से मुक्ति: अब बिजली कटौती या महंगे डीज़ल की टेंशन नहीं।

लागत में कमी: एक बार इंस्टालेशन के बाद पंप लगभग मुफ्त में चलता है।

समय की बचत: किसान अपनी सुविधा के अनुसार दिन में सिंचाई कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण: कार्बन उत्सर्जन घटता है और हरियाली बढ़ती है।

सरकारी सब्सिडी का लाभ: राज्य की बिजली सब्सिडी का बोझ भी कम होता है।

हरियाणा में अब तक की उपलब्धियां (Till today's achievements)

2025 तक हरियाणा में:

1.54 लाख से अधिक सोलर पंप इंस्टॉल हो चुके हैं।

इनसे लगभग 822 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा हो रही है।

राज्य की बिजली सब्सिडी का बोझ हज़ारों करोड़ रुपये घटा है।

किसानों का अनुभव भी बेहद सकारात्मक है। झज्जर जिले के एक किसान ने बताया कि अब उन्हें रात भर बिजली का इंतजार नहीं करना पड़ता, वे दिन में ही आसानी से सिंचाई कर लेते हैं।

अन्य सौर योजनाएँ (Other solar Scheme)

हरियाणा सरकार केवल सोलर पंप तक सीमित नहीं है।

सोलर रूफटॉप योजना के तहत 2027 तक 2.2 लाख घरों में पैनल लगाने का लक्ष्य है।

सभी सरकारी भवनों को 2027 तक सोलराइज करने की योजना है।

मॉडल सोलर विलेज बनाने की दिशा में भी काम शुरू हो चुका है।

चुनौतियाँ और आगे का रास्ता (Challenges and ahead path)

मेंटेनेंस: पंपों की देखभाल और सर्विसिंग की व्यवस्था ज़रूरी है।

जागरूकता: अभी भी कई किसान इस योजना से अनजान हैं।

ग्राउंड वाटर प्रबंधन: अधिक पंपों से ज़्यादा पानी दोहन न हो, इसके लिए निगरानी चाहिए।

नेट मीटरिंग: भविष्य में अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में जोड़ने की व्यवस्था किसानों को और लाभ पहुँचा सकती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

हरियाणा सोलर वाटर पंप योजना न सिर्फ किसानों की आय बढ़ा रही है बल्कि राज्य की ऊर्जा नीति में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। यह योजना साबित करती है कि अगर सरकार, तकनीक और किसान मिलकर कदम बढ़ाएँ तो खेती को स्वच्छ, किफायती और टिकाऊ बनाया जा सकता है।

आने वाले वर्षों में यह योजना न केवल हरियाणा बल्कि पूरे भारत के लिए आदर्श मॉडल बन सकती है।


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